देसी मुर्गी पोल्ट्री फॉर्म बिजनेस में सफलता के लिए उठाए ये कदम | desi murgi palan ki jankari poultry farm business plan

देसी मुर्गी पालन कैसे करे ,पौल्ट्री फॉर्म बिजनेस, पोल्ट्री शेड निर्माण कैसे करे, स्थान, बजट, मुनाफा, सावधानी (desi murgi palan, how to start poultry farm business , poultry shed design, location, investment, license,  profit)

इस पेज पर आपका स्वागत है। इस पेज पर हम डीटेल से और सरल भाषा मे समझेंगे की आखिर desi murgi palan kaise kare यह एक फायदे का बिजनेस है और desi murgi palan ka tarika क्या है और एक poultry farming business किस तरह से शुरू करे।

भारत मे मांस और और अंडे खाने वालों की संख्या काफी बढ़ती जा रही है। रिपोर्ट की माने तो सिर्फ भारत मे 72  प्रतिशत लोग मांसाहारी है जिसमे से सबसे ज्यादा मात्रा मे खाई जाने वाली मांस मुर्गी की है। सर्वे के अनुसार मुर्गी खाने का ग्राफ पिछले सालो मे 2013 से लेके 2019 तक 1 हजार मीट्रिक टन हो चुका है। हर साल देश की आबादी मे से 11 से 16 प्रतिशत का हिस्सा मांसाहारी भोजन अपनाता है। जिसमे मुर्गी का मांस सबका प्रिय है। इस तरह से इतनी तेजी से मुर्गी का मांस खाने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है।  

desi murgi palan

अगर आप भी मुर्गी पालन बिजनेस के बारे मे सोच रहे है। तो आप सही पेज पढ़ रहे है। यहाँ आपको desi murgi palan या poultry farm से संबन्धित सारी जानकरी मिलेगी  की आखिर एक सफल तरीके से देसी मुर्गी का पालन या पोल्ट्री फार्म बिजनेस का तरीका क्या है। 

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देसी मुर्गी पालन क्या होता है(what is desi murgi palan)

देसी मुर्गी पालन वह होता है जिसमे हम देसी नस्ल के मुर्गी का पालन मांस और अंडे दोनों की पूर्ति  के लिए अपने घर, खाली जगह, बाड़े या फिर एक पोल्ट्री शेड बनाकर करते है।  भारत मे यह बिजनेस काफी तेजी से बढ़ रहा है। अंडे और मांस खाने वालो की संख्या की बात की जाय तो भारत विश्व मे 5वे स्थान पर है। फूड और एग्रिकल्चर या फिर फार्मिंग की बात की जाय तो मुर्गी पालन सबसे बढ़ा क्षेत्र कवर करता  है। खाये जाने वाले मांस मे अधिकतर लोग मुर्गी का मांस ज़्यादा पसंद करते है।  

देसी मुर्गी और ब्रायलर मुर्गी की तुलना करे तो देसी मुर्गी ब्र्यलर की तुलना मे बिलकुल अलग होता है। देसी मुर्गी का विकास ब्रायलर मुर्गी की तुलना मे काफी धीमा होता है इसे 1 से डेढ़ किलो तक होने मे 4 से 6 माह तक लग जाता है। मगर देसी मुर्गी की ताकत और स्वाद के मामले मे ब्रायलर के मुक़ाबले काफी अच्छे होते है। इसकी इम्यूनिटी काफी तगड़ी होती है। देसी मुर्गी का रेट मार्केट मे काफी अच्छा खासा भी है। यह ब्रायलर मुर्गी की तुलना मे 3 गुने रेट मे बिकता है। देसी मुर्गी की चारे की बात की जाय तो इसके लिए बहूत ही कम खर्च करना पढ़ता है। और यह आसानी से किसी भी जगह ढल जाती है।  देसी मुर्गी की फ़ार्मिंग करना ब्रायलर की तुलना मे काफी हद तक आसान और फायदेमंद साबित होता है। 

कृषि और फ़ार्मिंग के व्यवसाय मे पॉल्ट्री फार्म सबसे तेजी से बढ़ने वाली व्यवसाय है। जिसके लिए सरकार भी काफी मदद कर रही है। अंडे की उत्पादन को बढ़ाने के लिए सरकार भी किसानो को काफी मदद कर रही है।  सरकार के द्वारा पशुधन मिशन योजना चलाई जा रही जिससे की मुर्गी पालन(desi murgi palan) करने वाले  किसानो की मदद की जा सके और उनके आर्थिक स्थिति को सुधारा जा सके। जिसके लिए bpl परिवारों को उचित निवेश करके अपना फ़ार्मिंग व्यवसाय शुरू करने मे भी मदद किया जा रहा है। 

अभी तक लगभग 3 मिलियन मतलब की 30 लाख से भी ज्यादा किसान murgi palan व्यवसाय कर रहे है और काफी अच्छे से कमाई भी कर रहे है। तो चलिए स्टेप टु स्टेप समझते है की murgi palan ka tarika आखिर होता क्या है। 

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मुर्गी पालन के प्रकार{types of poultry farm}

मुर्गी पालन के प्रकार की बात की जाय तो इसे 3  प्रकार मे बाँट सकते है। 

पहला है अंडे की उत्पादन के लिए , दूसरा है मांस के उत्पादन के लिए और तीसरा है अंडे और मांस दोनों के उत्पादन के लिए । अब बात करते है की आखिर कर इन तीनों चीजों के लिए सर्वाधिक मात्रा मे कितने प्रकार के मुर्गियों का पालन किया जाता है। भारत की बात करे तो मुख्य रूप से 3 प्रकार के मुर्गी का पालन ज्यादार होता है। जिससे मांस अंडे और दोनों चीज की फ़ार्मिंग की जाती है।  

        1 ब्रॉयलर मुर्गी {मांस के लिए }– ब्यालर फ़ार्मिंग करने मे भारत सबसे बड़ा स्थान रखता है। इस मुर्गी का पालन सबसे ज्यादा मांस की पूर्ति के लिए किया जाता है। इसमे मांस सबसे ज्यादा मिलता है और इसके फ़ार्मिंग मे समय कम लगता है तथा या सिर्फ और सिर्फ 6 से 8 सप्ताह मे ही खाने योग हो जाता है। इसका ग्रोथ रेट काफी ज्यादा है यह 6 से 8 सप्ताह मे ही 40 ग्राम से 1 से 2 किलो के हो जाते है।  इसलिए इस ब्रायलर मुर्गी फ़ार्मिंग मांस की पूर्ति के लिए ज्यादा की जाती है। मार्केट मे आसानी से अच्छे कीमत मे बिकने वाली वाली यह पहली प्रजाति है। 

        2 लेयर मुर्गी {अंडे और मांस की उत्पादन के लिए}- लेयर मुर्गी की फ़ार्मिंग अधिकतर अंडे की फ़ार्मिंग या पूर्ति के लिए किया जाता है। ये ब्रायलर की अपेक्षा थोड़ी धीमी गति से बढ़ती है। ये किसी भी वातावरण मे आसानी से ढल सकती है। ब्रायलर के मुक़ाबले ये काफी मजबूत और अच्छे रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली भी होती है। 

यह 17 से 18 हफ्ते के बाद से अंडे देने लग जाती है जो अपने पूरे उम्र भर मे 72 से 78 हफ्ते तक कम से कम 250 से 300 अंडे देती है। यह अपने जीवन काल मे अन्य नस्लो के मुताबिक कम खर्चे में बढ़ती है। जिसमे लागत कम भी कम है और अंडे से मुनाफा भी काफी ज्यादा है। 

        3  रोस्टर मुर्गी {कोकरेल- desi murgi मांस के लिए }- यह एक desi murgi है। जिसे ग्रामीण इलाको मे कॉकरेल के नाम से जाना जाता है। यह मांस का सबसे अच्छा सोर्स है ग्रामीण इलाको मे।  यह किसी भी जलवायु मे आसानी से ढल जाती है इसलिए इसकी फ़ार्मिंग आसानी से ग्रामीण इलाको मे किया जाता है। 

देसी मुर्गी के कुछ नस्ल(desi murgi breeds)

वैसे तो भारत मे देसी मुर्गी के सैकड़ो नस्ल है मगर पालन की दृष्टि से देखा जाय तो कुछ प्रजातीय ही अच्छी है। जो निम्न है । आप इनमे से नस्ल का चयन करके मुर्गी पालन कर सकते है।

asel असेल मुर्गी–  इन मुर्गे और मुर्गियों के पैर और गर्दन लंबे होते है। ये थोड़े हिंसक या झगड़ालू प्रवृति के होते है। इनका वजन मुर्गो मे 4 से 5 किलो के बीच तथा मुरगियों मे 3 से 4 किलो तक रहती है।  ये उत्तरप्रदेश , राजस्थान, और आन्ध्रप्रदेश मे अधिकतर पाई जाती है।  ये अंडे बहुत ही कम देती है। 

gramapriya ग्रामप्रिया मुर्गी – यह भारत सरकार के द्वारा अखिल भारतीय अनुसंधान के तहत विकसित किया गया है। इस खास फ़ार्मिंग के लिए ही तैयार किया गया है। इसका वजन 10 से 13 हफ़्तो मे 1.5 किलो से 2 किलो तक हो जाती है। 220 से 25 अंडे साल भर मे देती है। इसका मीट काफी स्वादिष्ट होता है। खासकर इसे तंदूरी के रूप मे खाया जाता है। 

kadaknath कड़कनाथ मुर्गी – यह पूरी तरह काली होती है। इसका असल नाम कलामसी है। इसमे प्रोटीन की मात्रा अन्य नसलों से काफी ज्यादा है। इसमे अन्य नसलों के मुक़ाबले 25 प्रतिशत प्रोटीन होती है। इसका उपयोग फार्मसीटेकल मे भी होती है। यह मार्केट मे  काफी मंहगे दामो मे बिकती है। इसकी अंडे देने की क्षमता वर्ष मे 65 से 80 के बीच है। 

shrinidhi श्रीनिधि मुर्गी– इस मुर्गी का पालन अंडे और मांस दोनों के लिए किया जाता है। इसका वजन 2.5 से 5 कीलो तक होता है। यह वर्ष मे 220 से 250 अंडे देती है। इससे मांस और अंडे दोनों से पैसे कमा सकते है। 

वनराजा मुर्गी- यह बहुत तेजी से और कम समय मे अंडे देने वाली प्रजाति है। जो महज 2.5 से 3 माह मे ही 120 से 150 देती है। इसका वज़न 2.5 से 5 किलो तक होता है। 

swarnath स्वरनाथ मुर्गी – पशु चिकित्सा और मतस्य विश्वविद्यालय बनलुरु के द्वारा विकसित किया गया यह प्रजाति 22 से23 सप्ताह मे ही खाने योग हो जाता है। इसका 3 से 4 किलोग्राम का होता है। यह प्रतिवर्ष 180 से 210 अंडे देती है।

chittagong चिटागोंग – यह सबसे ऊंची नसल मे आती है। इसके गर्दन और पैर बाकी नसलों से काफी लंबे होते है। इनका वजन 4.5 से 5 किलो और 2.5 तक लंबे होते है। यह प्रतिवर्ष 80 से 110 अंडे देती है।  

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मुर्गी पालन बिजनेस के लिए Kuroiler FFG नस्ल है फायदेमंद- 

अब kuroiler ffg चिक़न क्या होता है। what is kuroiler ffg chicken-  यह एक हाइब्रिड नस्ल का देसी मुर्गी है। जिसे keggfarms group in gurgaon haryana ने develop किया था। male  कलर ब्रायलर के साथ female rhode island red या फिर male white leghorn का क्रॉस female rhode island reds के साथ  कराके ffg नस्ल बनाया गया जो एकदम देसी मुर्गी के जैसे ही दिखता है।

मार्केट मे ये काफी अच्छे दामो पर बिकता है। यह आसानी से 300 से 350 रुपए kg तक बिक जाता है । आजकल अधिकतर ffg नस्ल का फ़ार्मिंग भी किया जा रहा है।  शुरुआत मे आप FFG मुर्गी  के 100 बच्चे लाकर अपने घर के खाली  जगह या कमरे मे पाले इससे आपको desi murg palan मे अनुभव होगा फिर आप अपने हिसाब से चिक्स लेकर बड़े पैमाने मे poutry form खोल सकते है।   

desi murgi farming कैसे करे

मुर्गी पालन के लिए नस्ल के चुनाव-

एक सफल poutry form की शुरुआत के लिए आपको तय करना होगा की आप आखिरकार किस चीज के उत्पादन के लिए फ़ार्मिंग करना चाह रहे है। क्या आप मांस के लिए फ़ार्मिंग करना चाहते है या अंडे की उत्पादन के लिए।  मांस और अंडे दोनों के उत्पादन के लिए आपको अलग अलग नस्ल चुनने होंगे। अगर आप मांस के लिए करना  चाहते है और पैसे कमाना चाहते है तो देसी मुर्गी मे कड़कनाथ, ब्रायलर और kuroiler  ffg नस्ल चुनने चाइए। 

  1. मांस के लिए ब्रायलर और देसी मुर्गी मे FFG एक अच्छा विकल्प है, मांस के उतपान के लिए आप ब्रायलर या FFG  चुन सकते है या फिर अच्छी कीमत कमाने के लिए आप अन्य देसी नस्ल जैसे कड़कनाथ भी चयन कर सकते है। कड़कनाथ की मांग मार्केट मे ज्यादा है जो अन्य नसलों से 3 गुना मंहगी बिकती है। 
  1. अंडे की उत्पादन के लिए आप अच्छे नस्ल का लेयर चुन सकते है जो आसानी से किसी भी जलवायु मे ढल सकती है और अन्य नसलों की अपेक्षा ज्यादा अंडे देती है। यहा अपने उम्र भर मे 250 से 300 तक भी अंडे देती है। अंडे और मांस के लिए यह अच्छा विकल्प होगा।  
  1. आप अपने आसपास के डिमांड के अनुसार और चलने वालों नस्ल का ही चयन करे ताकि आपको शुरुआत मे आपके murgi palan ke tarike और इस बिजनेस को समझने मे आसानी हो।  
  1. आप यह तय करे की आपको मांस के लिए poultry form डालना है या फिर अंडे की उत्पादन के लिए। फिर murgi palan के लिए सही नस्ल का चुनाव करे।   

मुर्गी पालन के लिए जगह का चुनाव कैसे करे-

मुर्गी पालन के लिए ऐसे जगह का चयन करे जिससे आपको और आपके आसपास वालों को किसी तरह की कोई समस्या न हो। 

  1. बस्ती शहर या मार्केट से थोड़े दूर मे हो ताकि फार्म के बदबू से लोगो को परेशानी न हो। 
  2. आपके वाहन के आने जाने के लिए रास्ता हो।
  3. पानी बिजली की व्यवस्था जरूर हो। 

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मुर्गी पालन के लिए शेड कैसे बनाये(poultry farm shed design)

desi murgi palan हो या किसी अन्य प्रकार के मुर्गी पालन। आपको अपने poultry farming business के लिए एक शेड की जरूरत तो पढ़ती ही है। आप अपने बजट के अनुसार पिजड़े या शेड का निर्माण कर सकते है। शेड का साइज़ कितना होगा यह आपके मुरगियों की संख्या पर निर्भर करता है।  यदि आप एक छोटे रूप मे पोल्ट्री फॉर्मिंग करना चाहते है या देसी मुर्गी पालन करना चाहते है तो आप शुरुआत मे अपने घर मे या खाली कमरे मे  छोटा छोटा जाली का शेड बनाकर इसमे मुर्गी पालन कर सकते है। 

अगर आप बड़े पैमाने पर desi murgi palan या poultry farming business करना चाहते है तो आपको एक poulty shed की जरूरत पड़ेगी। इसके लिए आपके पास पर्याप्त मात्रा मे जमीन कम से कम 2 हजार sq ft तो होनी ही चाइए जिसमे आराम से 7सौ से 1 हजार मुर्गी पाल सके । .

  1. शेड की दिशा पूर्व से पश्चिम की तरफ हो ताकि उगते और डूबते सूरज की परछाई सीधे शेड के अंदर न पढे।
  2. पूर्व और पश्चिम की दिवारे पूरी तरह से ढकी हुई हो।
  3. दोनों दीवाल की बीच की ऊंचाई 9 फिट हो तथा दोनों दिवाली की अगल बगल के छोर की ऊंचाई 7 से 8 फिट हो ताकि बारिश का पानी आसानी से नीचे फिसल जाए। 
  4. उत्तर और दक्षिण की तरफ की दिवारे जमीन स्टार से कम से कम 1 फिट उठी हुई हो बाकी ऊपर तरफ जाली हो। 
  5. शेड की चौड़ाई 15 से 35 फिट । चौड़ाई और लंबाई अपने जगह के हिसाब से तय करे।
  6. शेड का जमीन स्तर फर्श या साफ सुधरी हो ताकि चूहे या अन्य प्राणी बिल न बना सके 
  7. शेड के छत के लिए स्टील शीट के बजाय  सीमेंट के शीट इस्तेमाल करे यह गर्मी के दिनो मे भी ज्यादा गरम नहीं होते है। 
  8. शेड का जगह समतल और जमीन स्तर  से उठा हुआ हो ताकि बारिश मे पानी का बहाव शेड के तरफ न हो। 
  9. शेड मे लाइट की उत्तम व्यवस्था हो ।
  10. एक शेड से दूसरे शेड की बीच की दूरी मे थोड़ा डिस्टेन्स होनी चाहिए 
  11. लाइट लगते वक़्त ध्यान रहे की चूजो को जितनी टेम्प्रेचर की जरूरत हो उतनी ही lite रखे। जयदा पावर वाले लाइट का इस्तेमाल न करे। 
  12. चूजो की संख्या के हिसाब से फीडर और वॉटर कंटेनर रखे। प्रायः 5 या 10 के लिए एक फीडर और वॉटर कंटेनर रखे।
  13. प्रत्येक 100 चूजो ले लिए एक बार के दाना खाने के बाद 1 से 2 लीटर पानी कंटेनर मे रखे । 

मुर्गी पालन के लिए बच्चे या चूजे कहा से ले

अब बात करते है की चूजे कहा से ले। अब आपने यह तय तो जरूर कर लिया होगा की आपको अंडे के poultry form डालना है या मांस के लिए। दोनों ही केश मे आप अपने नजदीकी हेचरी जो फ़ार्मिंग के क्षेत्र मे अनुभव रखता हो वही  { चूजे पालन सेंटर या होलसेल विक्रेता } से ही चूजे की खरीदी करे।  

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चूजे खरीदेते वक़्त निम्न बातो की जानकारी जरूर लेवे

  1. चूजे लेते वक़्त चूजे मे या वहाँ के फॉर्म मे किसी तरह का कोई संक्रामक रोग न हो। 
  2. चूजे की कीमत ज्यादा मंहगे न हो। चूजे लेने से पहले अच्छे से मार्केट रिसर्च जरूर करे। ठगी से जरूर बचे। 
  3. चूजे की प्रवित्ति पूछ लेवे की चूजे या ब्रीड का व्यवहार विनम्र है या ज्यादा  सक्रिय है। उसके लिए कितने बड़े क्षेत्रफल की जरूरत होगी। उदाहरन के लिए कुच्छ ब्रीड काफी शांत और बड़े आकार मे होते है और काफी ज्यादा मात्रा मे अंडे देने वाली होती है। आप अपने फॉर्म के साइज़ के अनुसार ही चूजे के ब्रीड का चयन करे या फिर चूजे के चयन के अनुसार फॉर्म का सेटअप करे। 
  4. आपके ब्रीड को परिपक्व होने मे या अंडे देने मे कितने दिनो का समय लग सकता है। 
  5. ब्रीड के लिए चारे के चुनाव के बारे मे जानकारी ले लेवे 
  6. चूजे के लिए उचित टेम्प्रेचर की जानकारी जरूर ले, की इनके लिए अनुकूलित टेम्प्रेचर कितना चाइए 
Note- अगर आप सिर्फ अंडे के लिए फ़ार्मिंग करना चाहते है तो आप यंग चूजे ले सकते है। मतलब की जो चूजे अंडे देने के लिए तैयार हो या कुछ हफ्ते मे अंडे देने वाले हो या 14 से 16 हफ्ते के हो । ऐसे मे आपको ये चूजे थोड़े मंहगे जरूर पढ़ेंगे मगर आप जल्द ही अंडे की उत्पादन कर पाएंगे और चूजे के पालन पोषण रखरखाव के खर्चे से निजात पाएंगे। 

मुर्गी पालन के लिए चारा की व्यवस्था कैसे करे- 

अब बात आती है चूजो के चारे के लिए। आखिर किस तरह का चारा इस्तेमाल मे लाया जाय।  आपके चूजे का साइज़ और अंडे की गुणवत्ता को अच्छे बनाने के लिए आपको दाने पानी पर विशेष ध्यान देना पड़ेगा। आपको कम से कम 2 महीने के चारे का अच्छा बंदोबस्त करना होगा, ताकि चूजे के शुरुआती स्टेज मे भुखमरी का शिकार न हो जाए जिससे उनकी गुणवत्ता मे किसी प्रकार की कमी हो। 

मार्केट मे चूजे के हर एक नस्लों के चारे मिल जाएंगे । आप इनके लिए घर मे भी चारे बना सकते है, मगर ध्यान रहे की आपके द्वारा घर मे बनाए चारे मे वो सभी पोशाक तत्व होने चाहिए जो चूजे को जरूरी है।  क्योकि आगे आपके चूजो को सही टाइम मे सही मात्रा मे दाना नहीं मिलेगी या आपको चारे का प्रोपर अनुभव नहीं है तो चूजो के साइज़ और अंडे के उत्पादन मे असर पढ़ सकता है। जो आपके poultry farming business मे नुकसान का कारण भी बन सकता है। तो चलिये समझते है चारे की व्यवस्था कैसे होनी चाहिए। 

अंडे देने वाली चूजो के लिए चारा का प्रकार – 

स्टार्टर- 1 माह से 8 माह के चूजे के लिए- यह एक माह से 6 माह के चूजो को दिया जाता है। जिसमे 20-24 के बीच प्रोटीन और 1 प्रतिशत कैल्शियम भी होता है। इस समय चूजो के दिन मे एक बार यह स्टार्टर फीड के साथ पानी दे सकते है। दिन मे दे तो ज्यादा बेहतर होगा।  प्रोटीन की यह मात्रा उनको हड्डियों को धीमी गति से और अच्छे से विकास करता  है। 

घर पर मुर्गी का दाना कैसे बनाएं

चारा कैसे बनाए– एक बार मिश्रण बनाए जिसमे -मक्का 50 प्रतिशत, सोयाबीन दाल के टुकड़े 16 प्रतिशत, अलसी 13 प्रतिशत, मछ्ली के चुरे 10 प्रतिशत, चावल के छोटे दाने 8 प्रतिशत, खनिज पोषक 2 प्रतिशत , नमक 1 प्रतिशत या उससे थोड़ा कम।   

  1. ग्रोवर- 8 से 19 या 20 माह तक- चूजे जब बड़े हो जाय जब 6 माह पूरे हो जाय तो उनको ग्रोवर कैटेगरी का दाना देना चाइए जीसमे प्रोटीन की मात्रा 18-20  प्रतिशत और कैल्शियम 1 प्रतिशत होती है। ग्रोवर फीड आपके 6 माह के चूजो को निरंतर बढ्ने मे हेल्प करता है। 6 माह के बाद स्टार्टर बंद करके ग्रोवर दे ताकि प्रोटीन की अधिक मात्रा से उनके किंडनी को किसी प्रकार की हानी न हो। एक बार जब यह अंडे देने लग जाती है तो फिर यह लेयर फीड के लिए तैयार हो जाती है। 

चारा कैसे बनाए– मक्का 45 प्रतिशत, सोयाबीन दाल के टुकड़े15 प्रतिशत,  अलसी 12 प्रतिशत ,मछली के चुरे 7 प्रतिशत,  चावल के छोटे दाने 18 प्रतिशत,  खनिज पोषक 2 प्रतिशत,  नमक 1 प्रतिशत या थोड़ा कम  

  1. लेयर  – 19 या 20 माह के बाद – जब मुर्गी अंडे देने लगे तभी दिया जाता है। अक्सर इसे 19 से 20 माह के बाद दिया जाता है। जिसमे प्रोटीन की मात्रा 16-18 प्रतिशत और कैल्शियम की मात्रा 2 से 3 प्रतिशत होती है। कैल्शियम 2 से 3 प्रतिशत इसलिए क्योंकि इस स्टेज मे अंडे देती है और अंडे की मजबूती के ऊपर छिलके  लिए कैल्शियम की मात्रा अच्छी होनी चाइए।  

चारा कैसे बनाए– मक्का 48 प्रतिशत, सोयाबीन 15 प्रतिशत,अलसी 14 प्रतिशत,  मछ्ली के चुरे8 प्रतिशत,  चावल के छोटे दाने  11 प्रतिशत खनिज पोषक 3 प्रतिशत,  नमक 1 प्रतिशत 

बिना अंडे देने वाली मुर्गी के लिए चारे का प्रकार (ब्रायलर और देसी मुर्गी के लिए चारे के प्रकार)

  1.  प्री स्टार्टर- इसे शून्य से 15 दिन के चूजो को दिया जाता है।
  2.  स्टार्टर- 15 से 25 दिन के चूजो को दिया जाता है। 
  3.  फिनिशर – 25 से अच्छे वजन के आने तक। मार्केट मे जाते तक 

चारा कैसे बनाए-  मक्का, सोयाबीन खरी, अलसी, गेहु, बाजरा, चावल मिलाकर दलीया बना ले। मिश्रण बनाते वक़्त   ऊपर बताए तरीके का ही इस्तेमाल करे। 

अंडे रखने के लिए विशेष ट्रे की व्यवस्था– 

मुर्गी पालन के व्यवसाय मे अंडे के रखरखाव के लिए प्लास्टिक या कार्टून के बने ट्रे का इस्तेमाल जरूर करे।  लंबे समय रखने के लिए फ्रीजर रख लेवे या मार्केट मे जल्द बेच देवे। धूप से बचकार रखे  

मुर्गी पालन के लिए ट्रासंपोर्ट की व्यवस्था करे

आपके poultry farm business के लिए murgi की डिलिवरी के लिए एक वाहन होना चाइए। आप एक छोटे ऑटो मे जालीदार पिंजड़े ल्ग्वाकर उसे इस्तेमाल कर सकते है।  वाहन के होंने से आप अपना माल ज्यादा एरिये तक फैला सकते है। 

मुर्गियों की सही रखरखाव कैसे करे

  1. चूजो के शेड की सफाई करते रहे। 
  2. पानी की उत्तम व्यवस्था रखे। डिहाइड्रेशन से बचाए।
  3. चूजे अच्छे रौशनी मे ही दाना चुगते है इसलिए अच्छी रौशनी दिन मे भी और रात  मे भी बनाए रखे। 
  4. टिकाकरण पर विशेष ध्यान दे। 
  5. चूजो के डिलिवरी होने पर उन्हे तुरंत साफ सुथरे जगह मे शिफ्ट करे, कमजोर और चोटग्रस्त चूजो को अलग रखे। 
  6. शेड मे किसी तरह के संक्रमण को रोकने के लिए फार्मूलीन का स्प्रे करते रहे। 
  7. अन्य संक्रामक स्थिति मे बिना देरी किए पशु चिकित्सक से मिले 
  8. साँप नेवले जंगली चूहो से बचाए। 
  9. मौसम के अनुसार चूजो को बृडरींग करे। यानि गर्मी देते रहे । 

ब्रूडरिंग– चूजो को एक निश्चित गर्मी की जरूरत होती है इसके लिए आप बिजली का उपयोग करे या फिर गैस ब्रूडर का इस्तेमाल करे। प्रायः एक चूजे को 1 वाल्ट की गर्मी की जरूरत होती है। ठंड के दिनो मे एक्सट्रा वाट के गरम वाले बल्ब जलाए । 

बुरादा– शेड के तह पर लकड़ी के बुरादे, धान  के बुरादे, मूँगफली के छिलके आदि जरूर बिछाए ताकि चूजे को फर्श की सतह का डाइरैक्ट असर न पढे। 

मुर्गी पालन के व्यवसाय खर्च कितना आएगा

अब बात करते है desi murgi palan या poultry farm business मे कितनी लागत आ सकती है। आप इसे छोटे पैमाने मे करते है तो 500 चूजे के 50 हजार और मध्यम स्तर मे 1 हजार चूजे के लिए  1.5 से 2 लाख रुपए तक की लागत साथ ही साथ बड़े स्तर मे poultry farming business करने पर 5 से 10 हजार चूजो के लिए  आपको 7 से 10 लाख रुपए लग सकते है।  

अनुमानित खर्च-  शेड का खर्च- अगर आप कच्चे मटिरियल जैसे बांस के बाबू , पोलिथीन ढककर तो 1 हजार sq ft मे 8 से 10 हजार का खर्च आएगा मगर नुकसानी भी उठानी पढ़ सकती है। 

वही अगर बात करे पक्के शेड की तो इसमे  1000 चूजे के लिए आपको कम से कम 1000 से 1100 sq ft शेड मे कम से कम 1  से 1.5 लाख तक खर्चे आ सकते है। 

 चिकन का मूल्य- मार्केट मे ब्रायलर का मूल्य 30 रुपए से 40 और लेयर का मूल्य जो अंडे देती है उसका मूल्य 45 से 55 रुपए के आसपास है । इस हिसाब से 1000  चूजे का मूल्य होगा 40 हजार। 

चारे का मूल्य- चारे अगर बाहर से हो तो आपको 50 kg पाकेट 2500 से 4500 तक अलग अलग ब्रांड के मिल जाएंगे। जिसकी जरूरत आपको दो बार यानि दो पाकेट की पढ़ेगी। 

 लेबर चार्ज-  1000 चूजे ले लिए 3 लेबर ।

                  एक लेबर का रोजी 150 

                  45 दिन के लिए लेबर चार्ज 20250 रुपए 

पोल्ट्री फ़ार्मिंग के लिए पंजीकरण या लायसेंस 

एक murgi palan या poultry farming business के लिए आपको निम्न दस्तावेजो की जरूरत पढ़ सकती है। इसके लिए आपको उद्योग आधार का पंजीकरण कराना होगा। उद्योग आधार पंजीकरण के लिए आपको ऑनलाइन अपलाई करना होगा इसके लिए आप सरकारी website- udyogaadhar.gov.in पर जाना होगा। 

उद्योग आधार (msme) रजिस्ट्रेशन कैसे करे पूरी जानकारी-

साथ ही साथ आपको बिजनेस लाइसेन्स की भी जरूरत पढ़ सकती है। दस्तावेज़ मे आपका आधार कार्ड और पैन कार्ड 

मुर्गी पालन व्यवसाय में कमाई कितना है-

किसी भी बिजनेस को शुरुआत करने से पहले ही उसकी कमाई के बारे मे पहले ही सवाल खड़े हो जाया करते है। murgi palan या किसी भी प्रकार के poultry farming business मे अंडे और मांस की मांग पूरे वर्ष भर रहती है। इसकी कमाई का अंदाजा लगाते है चलिये। 

  • आपके पास 1000 ब्रायलर देसी मुर्गी है।
  • एक मुर्गी का वजन 2 से 3 किलो 
  • मार्केट मे एक किलो का रेट 150 अनुमानित और देसी मुर्गी की कीमत 300 से 350 रुपए किलो है।  
  • तो आपके एक मुर्गी का वजन अनुमानित 2 किलो के हिसाब से 1 हजार मुर्गी का वजन 2 हजार किलो 
  • ब्रायलर के हिसाब से 2 हजार किलो का मार्केट रेट 3लाख रुपए आप 6 से 7 महीने बाद आसानी से कमा लेंगे। 

ये सिर्फ मुर्गी की बात है। 

यहा पर अंडे का हिसाब बाकी है। 

  • एक मुर्गी 200 अंडे अनुमानित 
  • 1 हजार मुर्गी कुल अंडे देंगे- 2 लाख
  • मार्केट मे 1 अंडे की कीमत आप बेचेंगे 5 रुपए 
  • 2 लाख मे से अनुमानित 1.5 लाख अंडे सही सलामत बिकेगे तो अनुमानित कमाई – 5 से 6  लाख रुपए  

देसी मुर्गी पालन के फायदे-

  1. desi murgi palan के लिए किसी प्रकार की कोई डिग्री या पढ़ाई की जरूरत नहीं होती है। 
  2. इसमे ज्यादा बड़े जमीन  की जरूरत नहीं पढ़ती आप शुरुआत मे घर के खाली कमरे या बाड़े से कर सकते है।
  3. इसे आप कम से कम निवेश के साथ शुरू कर सकते है। आप 50 या 100 चूजे से शुरू कर सकते है  जिसमे लागत सिर्फ 7 से 8 हजार रुपए आएंगे।
  4. यह बहुत ही जल्द मात्र 6 से 7 माह मे अच्छे इनकम दे देता है। 
  5. इसकी कीमत अन्य नसलों से 3 गुनी मंहगी है। 
  6. इसकी डिमांड बहुत ज्यादा है इसलिए आपको बेचने मे किसी प्रकार की समस्या नहीं होगी। 
  7. सरकर इसके लिए लोन की सुविधा करा रही है। 
  8. एक ही बिजनेस मे अंडे और मांस दोनों से अच्छी कमाई 
  9. इसमे नुकसानी बहुत ही कम या नहीं के बराबर है।  
  10. मुर्गी के अंडे और मांस के बाद भी इसके विष्ठा से यानि इसके खाद को कृषि काम मे ले सकते है। 
  11. इंडिया मे इस बिजनेस का क्षेत्र बढ़ता जा रहा है। इसके लिए ट्रेनिंग संस्थान भी खोले गए है । सरकार भी मीट उद्योग पर काफी जोर दे रही है। 

मुर्गी पालन के लिए ट्रेनिंग कहा से ले-

murgi palan के लिए आप अपने आसपास के पोल्ट्री फार्म मे जाकर अनुभव ले सकते है।  बड़े डीलरो से सलाह ले सकते है। उनका कांटैक्ट न्ंबर रखके उनसे guideline ले सकते है। आपके आसपास शहर मे कही पर poultry farm training center जरूर होगा। आप वहा जाकर समपर्क कर सकते है। 

इसके साथ ही साथ यहा पर आपको govt की एक संस्था का लिंक दिया जा रहा है। आप इस website मे विजिट करके ट्रेनिंग के बारे मे पूरी जानकारी ले सकते है।  

पोल्ट्री फार्म ट्रेनिंग सेंटर (poultry farm training center)

मुर्गी पालन के ट्रेनिंग के लिए आप इस साइट मे विजिट करके जानकारी ले सकते है –cpdonrchd.gov.in 

मुर्गी और अंडे को बेचने के टिप्स

आपके पौल्ट्री फार्म मे 6 से  महिने मे चूजे पूर्णतः बेचने के लायक हो जाते है तो अब बात आती है की इसको सेल कैसे और कहा करे । आप छोटे छोटे चिकन कटिंग सेंटर मे रोज का ऑर्डर लेना शुरू करे। आपके आसपास के इलाको मे शॉप पर अंडे का ऑर्डर ले।  अंडे का इस्तेमाल शहर हो या गाँव हर जगह अंडे की बिक्री शॉप वाले जरूर करते है। 

  • बिक्री  के लिए कम से कम 1 महीने पहले ही ऑर्डर और छोटे छोटे चिकन सेंटरो मे अपना कांटैक्ट बनाना शुरू करे।
  • फास्ट फूड वालों को थोड़े छूट के साथ ऑफर करे।
  • छोटे छोटे ढाबे वागेरा मे अच्छे संबंध बनाए। 
  • आसपास के हॉस्टल मे डेलि का ऑर्डर ले 
  • शादी पार्टी मे ऑर्डर ले , इसके लिए आप कटिंग की भी सेवा दे सकते है। 
  • तौहर के सीजन मे छुट या कुछ ऑफर रखे । जैसे 2किलो मुर्गी के साथ 4 अंडे फ्री। 
Note-आपको आपके चिक्स की बिक्री के लिए ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसकी डिमांड ज्यादा है और फार्म बहुत ही कम। ग्राहक खुद ब खुद चले आएगे। 

मुर्गी पालन व्यवसाय के लिए लोन-

जैसे की पहले से ही बताया जा चुका है की poultry farm business के लिए सरकार मदद कर रही है। सरकार इसके लिए लोन भी दिलवा रही  है। आप अपने नजदीकी बैंक मे जाकर poultry farm business लोन के लिए अपलाई कर सकते है। 

जिसमे आपको poultry farm business के तहत कुछ प्रतिशत की छुट भी देती है। इस लोन मे आपको जीतने बजट की आवश्यकता होती है उतना आपको कुछ प्रतिशत छुट के साथ मिल जाता है। 

जैसे की आपके बिजनेस का लागत 2 लाख रुपए है तो शासन आपको इस बिजनेस मे मदद के तौर पर 20 से 25 प्रतिशत राशि की छुट देता है। तथा अन्य शेष रकम पर 0% ब्याज दर लेता है। इससे आपको अपने घर से पैसे फसाने की जरूरत नहीं पढ़ती है। 

इस तरह के लोन के अपलाई के लिए आपको अपने poultry farming business का पंजीकरण करना होगा। जिसे उद्योग आधारित पंजीकरण कहते है। जो MSMI  के माध्यम से होता है। 

निष्कर्ष- 

 इस पेज पर आपने समझा और जाना की desi murgi palan ka tarika क्या होता है।  एक poultry farming ka business कैसे सेटअप किया जाता है। साथ ही साथ आपने इसके लागत ,कमाई, murgi palan के पूरे तरीके शुरू से अंत तक कैसे करना है समझे। उम्मीद है आपको आपके सवालो का जवाब जरूर मिला होगा।  पोस्ट पसंद आई हो तो जरूरत मंद दोस्तो को शेयर जरूर करे। इस टॉपिक से जुड़े अन्य सवालो के लिए नीचे कमेंट सेक्शन मे कमेंट जरूर करे।  आपका सवाल हमारे लिए बहुमूल्य है। ध्न्यवाद।

500 मुर्गी पालने में कितना खर्चा आएगा?

यह आपके मुर्गी नस्ल के ऊपर निर्भर करता है। अगर आप देसी मुर्गी (desi murgi)की बात करे तो एक चूजे की कीमत 30 से 40 से रुपए तक आती है। तो 500 मुर्गी के पालन मे चारे, रखरखाव और खर्चे को मिलाकर आप आसानी से 15 हजार रुपए के अंदर कर लेंगे।

घर पर मुर्गी का दाना कैसे बनाएं?

घर पर मुर्गी दाना बनाने के लिए आपको मक्का , अलसी, सोयाबीन, मछली के चुरे, चावल के छोटे छोटे टुकड़े, बाजरा, गेहु और नमक का इस्तेमाल कर सकते है.

मुर्गी फार्म खोलने में कितना खर्चा आएगा?

murgi farm के व्यवसाय मे कोई फिक्स बजट नहीं है की आपको इतने ही खर्च करने है। आप शुरुआत मे 50 से 100 मुर्गी से भी शुरुआत कर सकते है जिसमे महज 5 से 15 हजार की लागत आ सकती है यह आपके मुर्गी के नस्ल पर निर्भर करता है। आप इसे बड़े पैमाने मे करने के लिए कम से कम 5 लाख रुपए लगा सकते है।

बॉयलर मुर्गा कितने दिन में तैयार होता है?

ब्रालयर मुर्गी जो की बाजार मे सबसे पहले नंबर पर बिकने वाली मुर्गी है जो 6 से 8 स्पताह मे ही 1 से 2 किलो के वजन का हो जाता है। 6 से 8 सप्ताह मे ब्राल्यर मुर्गी खाने योग्य तैयार हो जाता है।

पोल्ट्री फार्म का रजिस्ट्रेशन कैसे करे?

पोल्ट्री फार्म के व्यवसाय के लिए आपको msme यानि की उद्योग आधार पंजीकरण कराना होगा। इसके लिए आपको msme पोर्टल मे जाना होगा तथा पंजीकरण और लाइसेन्स के लिए आवेदन करना होगा। जिमसे आपको पैन कार्ड, आधार कार्ड और आपके व्यवसाय से संबधित कुछ जानकारी देने होंगे।

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