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आज इस आर्टिकल में हम Marie Curie, Marie Curie Death, Marie Curie Nobel Prize, How did Marie Curie Die & More के बारे में पढ़ेंगे।

मैडम क्यूरी का जन्म, जन्मस्थान, माता-पिता और फैमिली के बारे में

नाममैरी क्यूरी
प्रसिद्ध हैएक्स-रे़ की खोज के लिए
जन्म7 नवंबर 1868, पोलैंड में
मृत्यु4 जुलाई 1934, पासी फ्रांस
राष्ट्रीयतापोलैंड
हाईट1.60 वर्ग मीटर
वजनलगभग 60 किलो
पिता का नामस्कोल डोवस्की
माता का नामब्रोनिस्लावा

Marie Curie का जन्म 7 नवंबर 1868 में पोलैंड में हुआ था। जिस घर में इनका जन्म हुआ था। वह कोई संपन्न परिवार नहीं था। गृहस्थी बड़ी मुस्किल से चलती थी। इसी चिंता वा दरिद्रता में मां ब्रोनिस्लावा छह रोग से पीड़ित होकर परलोक सिधार गई।

Marie Curie के पिता स्कोल डोवस्की जोकि उत्तरी पोलैंड के एक कॉलेज में विज्ञान के प्रधानाध्यापक थे। तथा फ्रेंच, जर्मन, ग्रीक, व इंग्लिश भाषाओं के ज्ञाता थे। लेकिन उन्हें उनके पद से हटा दिया गया था। क्युकी क्यूरी के पिता पोलैंड पर रूस की जाराशाही के अधिकार के विरुद्ध थे।

और घर की आर्थिक हालत बिलकुल ही हिल गई थी। इधर घर गृहस्थी से लेकर पिता के विज्ञान संबंधी कार्यों में क्यूरी हाथ बटाने लगी। पोलैंड की धरती पर उत्पन्न मैडम क्यूरी कुछ उन गिनी चुनी महिलाओं में से हैं, जिसने विज्ञान के क्षेत्र में अद्भुत योगदान दिया है।

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आज जिस एक्सरे (X-Ray) से शरीर की भीतरी अवयवों की परीक्षा ली जाती है, उसके पीछे मैडम क्यूरी का अथक परिश्रम छिपा हुआ है। आज हमें यह कार्य बहुत आसान तथा सरल लगता है। लेकिन इसके पीछे कितना कठिन परिश्रम किया गया, इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता है।

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इधर घर गृहस्थी से लेकर पिता के विज्ञान संबंधी कार्यों में क्यूरी हाथ बटाने लगी। और वहीं से मैडम क्यूरी को भौतिक विज्ञान (Physics) में रुचि जागी। और वह प्रयोगशाला में जाकर सभी नवीन प्रयोगों को ध्यान से देखती, और समझने की चेष्टा करती। पिता ने भी अपनी बेटी की जिज्ञासा को शांत करने के लिए उसे नियमित रूप से विज्ञान की परीक्षा देनी आरंभ कर दी।

उधर पोलैंड की राजनीतिक स्थिति डांवाडोल हो रही थी। जैसे-जैसे पोलैंड वासियों में देश प्रेम संबंधी गतिविधियां बढ़ती जा रही थी, वैसे वैसे जाराशही का दमन चक्र भी तेज होता जा रहा था। दिन प्रतिदिन देश प्रेमियों से जेल भरती जा रही थी।

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मैरी क्यूरी एजुकेशन क्वालिफिकेशन

पढ़ाईद सोरबोन (1903), पेरिस विश्वविद्यालय (1894), पेरिस विश्वविद्यालय (1891-1893)

परिणाम स्वरूप Marie Curie ने अपने अध्ययन को आगे बढ़ाने के लिए वारसा छोड़ दिया, और पेरिस पहुंच गई।

मैडम क्यूरी के पति / बच्चे / ओर ब्वॉयफ्रेंड के बारे में

पतिपीरी क्यूरी (1895-1906)
ब्वॉयफ्रेंडपीरी क्यूरी
बच्चेइरेन जूलियट-क्यूरी, इवे क्यूरी

पेरिस में Marie Curie का संपर्क वहां के प्रसिद्ध डॉक्टर के सुपुत्र पीरी क्यूरी से हुआ। पीरी क्यूरी ने 19 वर्ष की अवस्था में ही भौतिक विज्ञान की उच्च डिग्री प्राप्त कर ली थी।

दोनों युवा उत्साही, परिश्रमी तथा प्रतिभा संपन्न थे। और विज्ञान के नवीन अनुसंधानों में समान रुचि रखते थे। दोनों मिलकर विज्ञान के अनुसंधानों बराबर प्रगति करने लगे। इसी घनिष्टटा के कारण दोनों ने 1895 में विवाह कर लिया।

वे घर के कामकाज से लेकर अनुसंधान के कार्य तक में एक दूसरे की सहायता किया करते थे। दोनों की अपनी दुनिया थी। वे इसी में मस्त रहते थे। अन्य लोगों के साथ वे अधिक संपर्क नहीं रखते थे। वे परस्पर वैज्ञानिक समस्याओं को सुलझाने में ही लीन रहते थे।

टूटे-फूटे छप्पर के नीचे उनकी अपनी एक प्रयोगशाला थी। वहीं यह दंपत्ति अपने प्रयोग करते थे। दोनो के दो बच्चे थे। एक का नाम इरेन जूलियट-क्यूरी और दूसरे का नाम इवे क्यूरी था।

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मैडम क्यूरी की खोजे

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उन्हें यह पता चल गया था कि यूरेनियम से कुछ अदभुत रोशनी निकलती हैं। बस इसके पश्चात वे लाल किरणों वाले प्रथक तत्व के अनुसंधान में लग गए। उन्होंने 1 टन कच्ची धातु को गला कर, छान वा साफ कर एक दिन उसमे से मात्र एक छोटी चम्मच जितना रेडियम प्राप्त कर लिया।

लेकिन इसके पीछे क्यूरी दंपत्ति का उस भट्टी पर कितना पसीना बहा, इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता। उन्हें एक टन कच्ची धातु को भट्टी में गलाकर एक चम्मच रेडियम प्राप्त करने में पूरे 4 वर्ष लग गए और जब वह तैयार हो गई तो उसमें से निकलने वाली किरणे इतनी तेज और शक्तिशाली थी,

कि रेडियम की ट्यूब छूने से पीरी के हाथ जल गए। एक दिन मैडम क्यूरी ने जब इस नई धातु, रेडियम की उपयोगिता के विषय मे “पेरिस फैकल्टी ऑफ साइंस” के समक्ष भाषण दिया तो उनकी ख्याति देश के कोने कोने में फेल गई।

मैडम मैरी क्यूरी को दिए गए पुरस्कार

पुरस्कारभौतिकी में नोबेल पुरस्कार (1903), रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार (1911), जॉन स्कॉट लिगेसी मेडल और प्रीमियम (1921), माटेटुकी मेडल (1904), इलियट क्रेसन मेडल (1909), डेवी मेडल (1903), विलार्ड गिब्स पुरस्कार (1921), अल्बर्ट मेडल (1910), एक्टनियन पुरस्कार (1907), बेंजामिन फ्रैंकलिन मेडल (1921)

सन 1903 में “नोबेल पुरस्कार” एक अन्य वैज्ञानिक और इन दोनो के बीच समान रूप से दिया गया। इससे क्यूरी दंपत्ति की आर्थिक अवस्था में कुछ सुधार हुआ।

अगले वर्ष फ्रांसीसी सरकार ने सारबोन पीरी को एक उच्च पद पर नियुक्त किया और Marie Curie भी अपने पति के साथ “चीफ ऑफ स्टाफ” बना दी गई। इस समय तक मैडम क्यूरी दो कन्याओं की मां बन चुकी थी।

क्यूरी दंपत्ति की इस सुखमय गृहस्थी को को एक दिन अकस्मात जबरदस्त आघात लगा। 1906 में पीरी क्यूरी सड़क पार करते हुए दुर्घटना के शिकार हो गए और उनकी वही तत्काल मृत्यु हो गई। मैडम क्यूरी के जीवन पर दुख के बादल छा गए। उनके जीवन में गृहस्थी का उल्लास समाप्त हो गया। पति की आकस्मिक मृत्यु से उनके जीवन में उदासी छा गई।

पीरी कहा करते थे “कर्तव्य प्रेम से श्रेष्ठ है।” मैडम क्यूरी को पीरी के यह शब्द नहीं भूले। संभवतः इन्हीं शब्दों से प्रेरित होकर उन्होंने उस अनुसंधान को और आगे बढ़ाया। सन 1910 में वे रेडियम के स्वरूप को स्पष्ट करने में सफल हुई।

उन्होंने अपने उन वैज्ञानिक प्रयोगों का, जिनके द्वारा उन्हें महान उपलब्धि हुई थी, विस्तृत विवरण देते हुए एक हजार पृष्ठ की एक पुस्तक लिखी। इस पुस्तक पर उन्हें 1911 का “नोबेल पुरस्कार” प्रदान किया गया। फ्रांसीसी सरकार ने एक नई रेडियम संस्था खोलकर मैडम क्यूरी को उसका प्रधान नियुक्त किया।

मैडम क्यूरी की मृत्यु के बारे में

Marie Curie एक महान महिला थी, उनके अविष्कार का आज बहुत उपयोग होता है। इस महान महिला का निधन 4 जुलाई 1934 को पासी फ्रांस में हो गया था। मैडम क्यूरी विश्व की महान महिला थी, जो हमेशा विश्व के मानचित्र पर अमर रहेगी।

About FAQ

Q. Marie Curie death?

Ans. Marie Curie died on 4 July 1934.

Q. Marie Curie Nobel Prize?

Ans. Nobel Prize for Physics in 1903.

Q. Marie Curie contribution?

Ans. Marie Curie is remembered for her discovery of radium and polonium, and her huge contribution to finding treatments for cancer.

निष्कर्ष

हमें उम्मीद है. आप सभी विजिटर को Marie Curie के बारे में पूरी जानकारी मिल ही गई होगी. यदि आप लोगो को कोई डाउट है. तो आप हमें कमेंट करके बता सकते है. यदि आप लोगो को यह लेख अच्छा लगा है. तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करे.

Note : यह जानकारी विभिन्न वेबसाईट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गहराई से रिसर्च करके एकत्रित की गई है। यदि इस जानकारी में किसी भी प्रकार की त्रुटि पाई जाती है. तो इसके लिए https://myhindivoice.com की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है।

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