Louis Braille Biography in Hindi, Story in hindi, Louis Braille Day & More 2023
आज इस आर्टिकल में हम Louis Braille Story in hindi, Louis Braille day, Who was Louis Braille & More के बारे में पढ़ेंगे।
Louis Braille Biography in Hindi | लुई ब्रेल का जीवन परिचय
Louis Braille की वजह से ही आज नेत्रहीन को पढ़ने मौका मिलता है। क्युकी लुईस ब्रेल ने ब्रेल लिपि का निर्माण किया था। यह उस समय की बात है, जब लुईस का जन्म 4 जनवरी 1804 को फ्रांस के पेरिस शहर में एक साधारण परिवार में हुआ था।
लुईस के पिता का नाम साइमन ब्रेल था। जोकि एक साधारण सी एक कार्यशाला चलाते थे। इस कार्यशाला में लुईस के पिता घोड़ों को लगान और जीन बनाते थे। और वह इस काम के लिए पूरे फ्रांस में प्रसिद्ध थे।
जब लुईस छोटे थे तो वह एक दिन अपने पिता की कार्यशाला में पहुंच गए। और वहा पर बहुत से औजार रखे थे। जिनमे से एक औजार को लुईस ने उठा लिया और चमड़े को काटने लगा। और लुईस से वह औजार संभला नही और उनकी आंख में जाकर लग गया। जिसके कारण लुईस अंधे हो गए। इस दुर्घटना के बाद लुईस बहुत परेशान हो गए। और वह शांत शांत से रहने लगे।
उनके माता-पिता लुईस के भविष्य को लेकर चिंतित थे। किंतु उन्होंने हिम्मत नहीं हारी वे नहीं चाहते थे, कि लुईस अपने कामों के लिए दूसरों पर आधारित रहे। वे सदैव उसे अपना काम करने के लिए प्रोत्साहित करते रहते थे।
पिता ने उसे चमड़ा पॉलिश करना सिखाया था। और 7 साल की उम्र में वह छड़ी की सहायता से गांव में घूमने लगा था। तभी उनके गांव के चर्च में नए पादरी जैकलिन पेलोई आए। और उनकी नजर लुइस पर पड़ी। और उन्होंने उसे अपना लिया इसके बाद ऐसा लगा लुईस के जीवन में प्रकाश आ गया हो।
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पादरी लुईस को लेकर कहीं भी बैठ जाते थे। और उन्हें बाइबल, विज्ञान आदि की कहानियां सुनाते थे। उन्होंने लुईस को फूलों और पत्तियों की पहचान कराई। साथ ही संगीत भी सिखाया था। लुईस ने मन में ठान लिया था कि, वह कुछ करके दिखाएगा। उनके गांव में एक ही स्कूल था। पादरी ने स्कूल के अध्यापक से बात करके उसी स्कूल में लुईस को भर्ती करवा दिया।
पहले तो वह अन्य समान बच्चों में सहमा सहमा रहता था। किंतु धीरे-धीरे उसने अपनी प्रतिभा से सभी की प्रभावित कर दिया था। लुईस की याददाश्त पहले से ही तेज थी। और वह पढ़ने में काफी होशियार भी थे। आगे की पढ़ाई के लिए पादरी ने पेरिस के विद्यालय में लुईस का दाखिला करवा दिया।
वहा भी लुईस ने अपनी असाधारण योगता और विनम्र व्यवहार से सभी को प्रभावित किया। लुईस हाथ के काम में काफी होसियार थे। लुईस को पहले वर्ष में सबसे अच्छी बुनाई और चप्पल बनाने के लिए पुरस्कार दिया जा चुका था। लुईस को संगीत में भी काफी रूचि थी। इसलिए लुईस ने बहुत से वाद्य यंत्र बजाने सीख लिए थे। किंतु सबसे अधिक आनंद उसे पियानो बजाने में आता था। लुईस अपने नए स्कूल में बहुत खुश था।
किंतु एक बात उसे हमेशा खटकती थी। की दृष्टिहीन छात्रों को पढ़ने में बहुत मुश्किल होती थी। दृष्टिहीन छात्रों के लिए पुस्तके नहीं थी। दृष्टिहीन लोगो के पढ़ने का केवल एक ही तरीका था। हर अक्षर को कागज पर उभार कर छापा जाता था। जिसे छूकर उन्हें महसूस किया जा सके। लेकिन इस विधि से दृष्टिहीन लोगो के लिए अक्षर सीखना और पढ़ना बड़ा मुश्किल होता था।
लुईस ने इस समस्या को दूर करने का निश्चय किया। तभी 1821 में चार्ल्स बर्बियर नामक फ्रांसीसी सज्जन नेत्रहीन विद्यालय में आए और उन्होंने सैनिकों के लिए रात के अंधेरे में संदेश पढ़ने के लिए एक लिपि तैयार की थी। उन्होंने अपनी लिपि का प्रदर्शन किया। इस लिपि में मोटे कागज पर कुछ रेखाओं और बिंदुओं को उभारा जाता था। जिसे सैनिक रात के अंधेरे में स्पर्श करके संदेश पढ़ लेते थे। और वही से लुईस को अपनी मंजिल दिखाई देने लगी। और वह जी जान से एक नई लिपि बनाने में जुट गए।
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लुई ने मोटे कागज पर छह बिंदुओं का एक नमूना पेंसिल से बनाया। बिल्कुल उसी तरह जैसे लूडो की पासे की सतह पर होता है। फिर उसने बिंदुओं को उभारकर वर्णमाला के प्रत्येक अक्षर का नमूना तैयार कर लिया था। यह तरीका एकदम सरल था। लुईस की खुशी का ठिकाना ना रहा। क्युकी लुईस ने दृष्टिहीन लोगो के पढ़ने के लिए एक सरल लिपि तैयार कर ली थी।
1829 में लुईस ने इस लिपि को प्रकाशित किया। जिस कारण वह काफी प्रसिद्ध हुआ। लुईस लगातार बिंदुओं वाली अपनी पद्धति पर कार्य करते रहे। 8 वर्ष बाद उन्होंने उसका संशोधित रूप दुनिया के सामने रखा। लुईस घंटों पुस्तकालय में बैठ कर उभरी हुई बिंदुओं वाली किताबे बनाते थे। कठोर परिश्रम और पेरिस की नमी ने उनके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाला और वह बीमार रहने लगे।
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डॉक्टरों ने जांच करके बताया कि लुईस को तपेदिक टीवी हो गई है। उन दिनों इस बीमारी का कोई इलाज नहीं था। 1844 में उनकी तबीयत अधिक खराब हो गई। और उन्हें स्कूल की नौकरी छोड़नी पड़ी थी। तब तक उनकी पद्धति ब्रेल लिपि के नाम से जानी जाने लगी थी। लाखों करोड़ों लोगों के जीवन में प्रकाश भरने वाले इस महान व्यक्ति का 6 जनवरी 1852 को देहांत हो गया।
धीरे-धीरे उनकी पद्धति सारे संसार में फैल गई। लुईस की मृत्यु के 6 वर्ष बाद अमेरिका में पहली बार दृष्टिहीन के स्कूल में ब्रेल लिपि में लिखी गई पुस्तको का प्रयोग किया गया था। दृष्टिहीन लोग ब्रेल लिपि का अविष्कार करने वाले लुईस को अपना मसीहा मानते है। और उनकी याद में ही इस दिवस को मनाते है। यह दिवस हर साल 4 जनवरी को मनाया जाता है। 4 जनवरी को लुईस का जन्म हुआ था।
About FAQ
Q. Louis Braille age?
Q. How was Louis Braille educated?
Q. Louis Braille wife?
Q. Was Louis Braille born blind?
Q. Did Louis Braille get married?
Q. What was invented by Louis Braille?
निष्कर्ष
हमें उम्मीद है. आप सभी विजिटर को Louis Braille के बारे में पूरी जानकारी मिल ही गई होगी. यदि आप लोगो को कोई डाउट है. तो आप हमें कमेंट करके बता सकते है. यदि आप लोगो को यह लेख अच्छा लगा है. तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करे.
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