Mahatma Gandhi Biography in Hindi, Mahatma Gandhi Essay, Mahatma Gandhi in Hindi, Mahatma Gandhi History & More 2023

2 अक्टूबर को हम Mahatma Gandhi के जन्मदिन के रूप में मनाते है। क्युकी इसी दिन Mahatma Gandhi का जन्म हुआ था। Mahatma Gandhi अहिंसा के पुजारी थे। वह हमेशा सत्य की राह पर चले है। वह इस देश में शांति चाहते थे। अंग्रेजो का शासन होने की वजह से हम भारतीय का शोषण हो रहा था।

जिसे Mahatma Gandhi ने देखा और निकल पड़े स्वतंत्रता दिलवाने के लिए। और इनके संघर्ष से हमे स्वतंत्रता मिली। और अंग्रेज देश छोड़ने को मजबूर हो गए। इनके इसी संघर्ष से आज हम Mahatma Gandhi को राष्ट्रपिता कहते है। तो आइए जानते है, इनके जन्मदिन के शुभ अवसर पर इनकी कहानी को,

आज इस आर्टिकल में हम Mahatma Gandhi Essay, Mahatma Gandhi in Hindi, Mahatma Gandhi History, Mahatma Gandhi Biography in Hindi & More के बारे में पढ़ेंगे।

महात्मा गांधी कौन थे?

नाममोहनदास करमचंद गांधी
प्रसिद्ध है“राष्ट्रपिता” महात्मा गांधी के रूप में
व्यवसायराजनीतिज्ञ, लेखक, स्वतंत्रता सेनानी, क्रांतिकारी, वकील, शांति कार्यकर्ता और राजनीतिक प्रचारक
जन्म2 अक्टूबर सन 1869, पोरबंदर में
मृत्यु30 जनवरी 1948 दिल्ली में
पत्नीकस्तूरबा
धर्महिंदू
पिता का नामकरमचंद गांधी
माता का नामपुतलीबाई
पढ़ाईमुंबई यूनिवर्सिटी’ की मैट्रिक की परीक्षा, और इंग्लैंड यूनिवर्सिटी से आगे की पढ़ाई की

Mahatma Gandhi का जन्म 2 अक्टूबर सन 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर एक हिंदू ब्राह्मण परिवार में हुआ था। गांधी जी के पिता का नाम करमचंद गांधी था। बे राजकोट रियासत में दीवान थे।

गांधी जी की माता का नाम पुतलीबाई था। यह करमचंद गांधी की चौथी पत्नी थी। जिससे उनकी एक संतान हुई थी। और उनका नाम Mahatma Gandhi है। गांधीजी हमेशा अपनी मां की बातो को सुनते थे। और इन पर फोकस करते थे।

वह अपनी माता के आदर्श वाक्यों का कर्तव्यपूर्ण पालन करते थे। इनकी मां बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति की थी। वह हमेशा पूजा पाठ और वृत रहती थी। गांधी जी अधिकतर जैन धर्म के संपर्क में रहे जहा पर उनके मुख्य सिद्धांत थे।

अहिंसा की राह पर चलना और विश्व की सभी वस्तुओं को अपना मानना है। और Mahatma Gandhi ने इनकी बातों को फॉलो किया और अहिंसा, शाकाहारी और दूसरे धर्मो को मानने वाले गुणों को अपनाया।

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Mahatma Gandhi की एजुकेशन क्वालिफिकेशन के बारे में

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Mahatma Gandhi की आरंभिक शिक्षा गुजरात में हुई थी। वह बचपन से ही पढ़ने में बहुत होसियार थे। जिसे देखते हुए उनके माता पिता ने उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड भेज दिया। वह सितंबर 1888 में लंदन पहुंच गए।

लंदन में चार कानून महाविद्यालय थे। जिनमे से महात्मा गांधी ने ‘इनर टेंपल’ में दाखिला लिया। और वकालत की पढ़ाई की। Mahatma Gandhi की शादी मात्र 13 वर्ष की आयु में पोरबंदर के एक बिजनेसमैन की बेटी कस्तूरबा से हो गई थी।

Mahatma Gandhi श्रवण कुमार और सत्यवादी हरिश्चंद्र के नाटक देखा करते थे। जिससे वह काफी प्रभावित हुए। और तभी से उन्होंने माता-पिता की सेवा करना और सत्य को अपनाने का दृढ़ निश्चय किया।

गांधीजी ने अपनी वकालत की शिक्षा इंग्लैंड से प्राप्त करके भारत वापस आए। और मुंबई हाईकोर्ट में वकालत करने लगे। इन्हे साउथ अफ्रीका से दादा अब्दुल्ला ने अपना केस लड़ने के लिए 1906 में इन्हे साउथ अफ्रीका बुलाया।

जहा पर इन्होंने एक साल का कॉन्ट्रैक्ट लिया था। दादा अब्दुल्ला ने इनका फर्स्ट क्लास का टिकट बुक करवाया था। जब यह ट्रेन में पहुंचे तो अंग्रेज ने इन्हे वहा से भगा दिया। लेकिन गांधी जी ने कहा मेरे पास टिकट है। में नहीं जाऊंगा।

अंग्रेज ने इन्हे धक्का मारकर भगा दिया। और अगले स्टेशन में इन्हें ट्रेन से नीचे उतार दिया था। जब महात्मा गांधी कोर्ट में पहुंचे तो वहां पर भी इनकी काफी बेज्जती की गई। यह सारी बेजत्ती सहते गए। क्युकी यह एक साल का कॉन्ट्रैक्ट लेकर आए थे।

अगर यह वापस आते तो इनकी नौकरी छूट जाती। महात्मा गांधी ने जब यह देखा की यहां भारत के जैसे ही हालत है। क्युकी यहां पर काले गोरे का भेदभाव होता था। तो इसको देखते ही महात्मा गांधी ने साउथ अफ्रीका में ही सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू कर दिया। और यही से ही सत्यग्रह शुरू हुआ था।

सत्याग्रह का मतलब होता है, बिना लड़े चुपचाप सब कुछ सहते रहना, बिना हिंसा के ही अपने हक के लिए लड़ते रहना यही सत्याग्रह का अर्थ है। गांधी जी अहिंसा के पुजारी थे। उन्हे हिंसा पसंद नहीं थी। जब हिंदुस्तान वालों को यह बात पता चली।

कि साउथ अफ्रीका में हमारे हिंदुस्तान के Mahatma Gandhi ने अंग्रेजों की वहां पर वाट लगा दी है। तो इन्हें गोपाल कृष्ण गोखले ने भारत वापस बुलाया। और कहा कि तुम भारत के लिए लड़ो तो महात्मा गांधी 9 जनवरी 1915 को भारत वापस आए।

इसी 9 जनवरी को महात्मा गांधी के वापस आने के उपलक्ष्य में हम लोग प्रवासी दिवस के रूप में मनाते हैं। महात्मा गांधी का हर जगह बोल बाला था। अंग्रेज भी इनसे ज्यादा कुछ नही बोलते थे। यह उस समय के बहुत बड़े नेता बन चुके थे। देश में कोई भी समस्या होती थी। तो सभी महात्मा गांधी के पास जाते थे।

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महात्मा गांधी के सभी आंदोलनो के बारे में

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महात्मा गांधी का चंपारण आंदोलन

Mahatma Gandhi का भारत में प्रथम आंदोलन चंपारण आंदोलन था। इस आंदोलन की शुरुआत 1917 ईसवी में बिहार के चंपारण नमक स्थान में  हुई थी। यह एक किसान आंदोलन था। यह आंदोलन इसलिए चलाया गया था। क्योंकि अंग्रेजों ने तिन कठिया प्रथा भारत में लागू कर दी थी।

तिन कठिया प्रथा का अर्थ होता है। कि किसान अपने खेत में  3/10 भाग में नील की खेती करें। और किसान यह करना नहीं चाहते थे। क्योंकि नील की खेती एक बार जिस जमीन में हो जाए, उस जमीन में दोबारा हम खेती नहीं कर सकते हैं।

और किसान इस नियम के विरुद्ध थे, तो उन्होंने महात्मा गांधी को अपनी समस्या बताई, और महात्मा गांधी इस आंदोलन में भाग लेने के लिए आ गए। और उन्होंने अंग्रेजों से बात की लेकिन अंग्रेज नहीं माने तो उन्होंने आंदोलन कर दिया ,और फिर अंग्रेजों को उनकी बात माननी पड़ी। और यह उनका पहला सफलता पूर्वक आंदोलन था।

आंदोलन की सफलता के बाद रविंद्र नाथ टैगोर ने गांधी जी को महात्मा की उपाधि दी थी। रविंद्र नाथ टैगोर को गांधीजी का अंतरात्मा रक्षक कहा जाता है।

गांधी जी का खेड़ा आंदोलन

1918 ईस्वी में यह आंदोलन गुजरात के खेड़ा में चलाया गया था। यह आंदोलन इसलिए चलाया गया था, कि अंग्रेज अकाल के बावजूद भी लगान वसूली कर रहे थे। हम लोगों से लगान लेते थे, जिसके बाद गांधी जी ने इस पर पहल की और यह सफल आंदोलन रहा। भारत की सबसे पुरानी डेयरी आनंद डेयरी गुजरात खेड़ा में है। इसे आज हम लोग अमूल के नाम से जानते हैं।

गांधी जी का खिलाफत आंदोलन

यह आंदोलन 1919 ईस्वी में चलाया गया था। यह आंदोलन इसलिए चलाया गया था। क्युकी मुसलमानों के सबसे बड़े धर्म गुरु खलीफा के पद को टर्की ने हटा दिया था। जिससे मुसलमान काफी नाराज हो गए थे, और इसका विरोध भारत के मुसलमानो ने भी किया।

उन्होंने इसके खिलाफ आवाज उठाई। और फिर गांधीजी ने देखा कि मुसलमान अनशन में है। तो गांधीजी ने भी इस आंदोलन में शामिल होने का फैसला लिया। वह इसलिए लिया कि ताकि हमारे देश को आजाद करवाने के लिए मुसलमान हमारी सहायता करेंगे।

और 1922 ईस्वी में दक्षिण भारत में मुसलमानों ने 1500 हिंदुओं को मार दिया था। और 2000 हिंदू का धर्म परिवर्तन करवा दिया था। लेकिन तब भी महात्मा गांधी ने कुछ नहीं कहा। क्युकी महात्मा गांधी बोल रहे थे कि अगर मैं उनसे कुछ कहूंगा तो वह भड़क जाएंगे और हमारे देश को आजाद करवाने में हमारा साथ नहीं देंगे। वह देश को बचाने के लिए सोच रहे थे। तो इसलिए इन्होंने उस पर कुछ नहीं कहा।

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गांधी जी का असहयोग आंदोलन

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इस आंदोलन की शुरुआत 1920 ईस्वी में होती है। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य यह था, कि हम अंग्रेजों का सहयोग नहीं करें। उनके द्वारा बेची गई वस्तुओं को ना खरीदें, उनके स्कूल में ना पड़ें, और जितने लोग उनके अंदर काम कर रहे हैं, गवर्नमेंट हो या प्राइवेट वह सब उन कंपनियों को छोड़ दें।

इस अंदोलन में मोतीलाल नेहरू, पंडित जवाहर लाल नेहरू, चितरंजन दास और सरदार बल्लभ भाई पटेल ने अपनी नौकरी छोड़ दी थी। और इस आंदोलन के चलते लोगो ने अपने स्कूल खुद के खोल लिए थे, ताकि भारतीय अंग्रेजो के स्कूल में ना पढ़े। जैसे गुजरात विद्यापीठ, बिहार विद्यापीठ आदि।

इस आंदोलन से अंग्रेजो को काफी नुकसान हुआ। उनके टैक्स में गिरावट आ गई थी। और यह आंदोलन काफी सफल चल रहा था। इस आंदोलन में महात्मा गांधी ने वस्त्र त्यागकर धोती कुर्ता पहनना चालू कर दिया था। और चरखा चलाकर लोगो को बता रहे थे। कि हम अपनी खुद की बनी हुई चीज उपयोग करे।

लेकिन अचानक गोरखपुर स्थान में किसानों के शांतिपूर्ण जुलूस में अंग्रेजों द्वारा लाठीचार्ज कर देने के बाद चौरी चौरा नामक थाने में फरबरी 1922 में आग लगा दी थी। जिसमें एक थानेदार सहित 21 सिपाही मारे गए थे। उसके बाद ब्रिटिश सरकार काफी क्रोधित हो गई थी।

जिससे देश में मार्शल लॉ लागू कर दिया था। मार्शल लॉ का मतलब होता है, कोई भी आदमी दिखे उसे तुरंत गोली मार दो और जिसने चोरी चोरा कांड में साथ दिया था। उनमें से उन्होंने 228 लोगों को कोर्ट में बुलाया था। जिसमें 172 को मृत्युदंड दिया गया था, और बाकी लोगों को जेल भेज दिया गया था।

फिर गांधी जी ने अपने इस आंदोलन को छोड़ दिया था क्योंकि वह अहिंसा वादी थे। वह हिंसा से कुछ नहीं लेना चाहते थे। वह शांतिपूर्ण इस देश को स्वतंत्र करवाना चाहते थे। इस आंदोलन को वापस लेने के बाद इनसे काफी लोग निराश हो गए थे।

जैसे सुभाष चंद्र बोस ने कहा था, “उस दौरान जब जनता का उत्साह अपने चरम पर था, ऐसे समय आंदोलन को रोकना राष्ट्रीय संकट से कम नहीं था”। और पंडित मोतीलाल नेहरु का कहना था, “कन्याकुमारी में किए गए अपराध की सजा जम्मू कश्मीर के व्यक्तियों को नहीं दी जानी चाहिए”।

इसके बाद देश में हिंसा भड़क गई थी। नए नए क्रांतिकारी नेता उभर कर आ रहे थे। जिनमें से चंद्रशेखर आजाद, सुभाष चंद्र बोस आदि अन्य लोग ने हिंसा को चुना। और महात्मा गांधी के आंदोलन रोक देने के बाद से लोगों ने उनका साथ देना बंद कर दिया था।

1922 से 1930 ईस्वी तक इन्हीं नवयुवक नेताओं ने अपना पच्छम लहरा कर रखा, इन्होंने कई हिंसा वादी काम किए। यह एक क्रांतिकारी संगठन था। इन्होंने प्रथम क्रांतिकारी कार्य 1925 ईस्वी में काकोरी नामक स्थान लखनऊ से सहारनपुर रेल मार्ग पर इन्होंने काकोरी कांड को अंजाम दिया था।

यह काकोरी जाने वाली हथियारों से भरी मालगाड़ी थी। जिसे भारतीयों ने लूटने का प्रयास किया था। लेकिन वह असफल रहे। और पकड़े गए, जिनमें से 4 क्रांतिकारी को फांसी दे दी गई थी। उनके नाम है – रोशनलाल, राजेंद्र लहरी, राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खां थे।

1928 ईस्वी में लाला लाजपत लाहौर में साइमन कमीशन का साथ दे रहे थे। जिसकी वजह से लाहौर के पुलिस अधीक्षक सांडर्स ने लाठीचार्ज करवा दिया था। जिसमें लाला लाजपत राय के सिर में लाठी लगने से उनकी मृत्यु हो गई थी।

लाला लाजपत राय भगत सिंह के गुरु थे। उनसे यह देखा नहीं गया, और उन्होंने दिसंबर 1928 ईस्वी में सांडर्स को गोली मारकर उसकी हत्या कर दी थी। उसके बाद इन लोगों को पकड़ कर जेल में डाल दिया था।

Mahatma Gandhi का डांडी मार्च आंदोलन

क्रांतिकारी नेताओं को जेल में डाल देने के बाद लोगों के पास सिर्फ एक ही सहारा बचा था और वह थे Mahatma Gandhi। यह लोग 1930 ईस्वी में अपनी समस्या लेकर गांधी जी के पास गए। उन्होंने गांधी जी से कहा कि अंग्रेजों ने नमक पर टैक्स 2400% कर दिया है।

और यह सुनकर गांधी को काफी बुरा लगा। और उन्होंने कहा हम अपना खुद का नमक बना सकते हैं। और उन्होंने डिसाइड किया कि हम दांडी मार्च आंदोलन प्रारंभ करेंगे।

यह आंदोलन 12 मार्च 1930 ईस्वी को गुजरात के साबरमती आश्रम से चालू हुआ था। इसमें दांडी नामक स्थान गुजरात तक पैदल चलकर जाना था। यह आंदोलन 6 अप्रैल 1930 तक चला था। इसमें 79 लोग शामिल किए गए थे।

जो Mahatma Gandhi जैसे विचार रखते थे, यानी कि अहिंसा की राह पर चलना हिंसा ना करना। इस पूरे आंदोलन की दूरी 24 मील थी। इस यात्रा में कुल 24 दिन लगे थे।

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गोलमेज सम्मेलन

टोटल 3 गोलमेज सम्मेलन हुए थे। और तीनो गोलमेज सम्मेलन असफल रहे। द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में कांग्रेस की तरफ से गांधी जी ने प्रतिनिधित्व किया था। यह सम्मेलन 5 मार्च सन् 1931 को लंदन में हुआ था।

जिसमे Mahatma Gandhi और वाइसराय लार्ड इरविन के बीच एक राजनैतिक समझौता हुआ था। जिसे हम गांधी इरविन समझौता (Gandhi Irwin Pact) कहते हैं। इसमें गांधी जी अपने क्रतिकारी आरोपियों को छुड़वाने की मांग की थी।

जिसमे इरविन ने कहा था। हम हिंसा के आरोपियों को छोड़कर बाकी सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा कर देंगे। जिनमें से उन्होंने हिंसा के आरोपी सुखदेव, भगत सिंह और राजगुरु इनको नहीं छोड़ा।

और Mahatma Gandhi ने इनके लिए कोई मांग नहीं की। 23 मार्च 1931 को भगत सिंह को फांसी दे दी गई थी। जबकि फांसी भगत सिंह को 24 मार्च को देनी थी लेकिन उससे एक दिन पहले ही उन्हें फांसी दे दी गई थी।

प्रांतीय चुनाव की छूट मिली

भारत शासन अधिनियम 1935 के द्वारा भारतीयों को प्रांतीय चुनाव लड़ने की छूट मिल गई थी। जिसमें कांग्रेस की सरकार पूर्ण बहुमत से 8 प्रांतों में बनी थी। प्रधानमंत्री के चुनाव में पंडित जवाहरलाल नेहरू के विरुद्ध सरदार बल्लभ भाई पटेल खड़े थे।

जिनमें सरदार वल्लभ भाई पटेल को अधिक वोट मिले थे, लेकिन महात्मा गांधी के कहने पर उन्होंने पंडित जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री बना दिया। कांग्रेस की सरकार आने के बाद से हर जगह करप्शन चालू हो गया था। महात्मा गांधी ने पंडित जवाहरलाल नेहरू को समझाया कि हम अपनी पार्टी बंद देनी चाहिए।

लेकिन पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा कि अगर हम कांग्रेस को बंद कर देंगे। तो मुस्लिम लीग पार्टी हम से आगे निकल जाएगी, और अंग्रेज हम पर भारी हो जाएंगे, तो फिर Mahatma Gandhi ने इस पर ज्यादा जोर नही दिया।

द्वितीय विश्व युद्ध में भारत को शामिल कर लिया गया

लार्ड लिन लिथिगो ने भारतीयों की अनुमति के बिना। भारतीयों को द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल कर लिया था। जिसके विरोध में कांग्रेस ने 23 दिसंबर 1939 को इस्तीफा दे दिया था।

लेकिन Mahatma Gandhi ने कहा कि हम तुम्हारा साथ देंगे। लेकिन तुम्हें भारत छोड़ना पड़ेगा तो अंग्रेजों ने हां कर दी। और महात्मा गांधी ने 25 लाख लोगों को अंग्रेजों के साथ जोड़ दिया। और उसके बाद महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन 1942 ईस्वी में चालू किया।

इंडिया पाकिस्तान का बंटवारा

पाकिस्तान की सर्वप्रथम मांग कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में 1940 ईसवी में मुस्लिम लीग पार्टी के अध्यक्ष मोहम्मद अली जिन्ना ने की थी। लेकिन महात्मा गांधी नहीं चाहते थे। कि हम लोग अपना अपना अलग देश बना कर रहे।

और उन्होंने जिन्ना से कहा भारत आजाद होने के बाद हम तुम्हे अलग राज्य पाकिस्तान बनाने की इजाजत दे देंगे। लेकिन मोहम्मद अली जिन्ना नही माने। और 1947 में मुस्लिम दंगा भड़कने के बाद,

15 अगस्त 1947 को हमारा देश आजाद हुआ था। और उसी के साथ पाकिस्तान एक अलग देश बना दिया गया था। पाकिस्तान में 5 प्रांत शामिल किए गए थे, पंजाब, अफगान, सिंध, बलूचिस्तान और कश्मीर।

Mahatma Gandhi की मृत्यु

गांधी जी हमारे बीच अधिक समय तक ना रह सके। 30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली के बिड़ला भवन में नाथूराम गोडसे द्वारा गोली मारकर गांधी की हत्या कर दी गई थी। स्वतंत्रता के अग्रदूत गांधी जी हमसे हमेशा के लिए विदा हो गए थे। वास्तव में गांधीजी उस युग के महान युगपरुष थे।

The Story of My Experiments with Truth

The Story of My Experiments with Truth पुस्तक महात्मा गाँधी के जीवन के बारे में बताती है।

महात्मा गांधी के बारे में

  1. गांधी जी को सुभाष चंद्र बोस ने राष्ट्रपिता की उपाधि दी थी।
  2. 70 देशों में गांधी जी की मूर्ति बनी हुई है।
  3. 90 हजार किताबें इनके ऊपर लिखी गई है।
  4. 45 से ज्यादा फिल्में इनके ऊपर बन चुकी है।
  5. मार्टिन लूथर किंग इनको अपना गुरु मानते हैं।
  6. टैगोर ने इन्हे महात्मा की उपाधि दी थी।
  7. बापू ने कहा कि स्वास्थ्य ही असली संपत्ति है, न कि सोना और चांदी।

About FAQ

Q. What is Mahatma Gandhi most famous for?

Ans. Mahatma Gandhi had fought a lot to get India’s independence. That’s why he is quite famous.

Q. Why was Mahatma Gandhi assassinated?

Ans. Gandhi was assassinated on 30 January 1948 by Nathuram Godse at Birla Bhawan in New Delhi. Because Gandhi had said at the time of independence. Muslims who want to live in India. He may live in India. And those who want to live in Pakistan. He may stay in Pakistan. And the same thing did not like Nathuram Godse. And he shot and killed Mahatma Gandhi.

Q. Was Mahatma Gandhi poor or rich?

Ans. Gandhiji was from an Aamir Khan charity.

Q. What is Mahatma Gandhi story?

Ans. To read the story of Gandhiji, you can visit the website bioknowledge.net.

Q. What are three facts about Gandhi?

Ans. three facts about Gandhi.
1. Gandhiji was given the title of Father of the Nation by Subhash Chandra Bose.
2. Gandhiji’s statue remains in 70 countries.
3. 90 thousand books have been written on him.

Q. What religion was Gandhi?

Ans. Gandhi ji belongs to a Hindu Brahmin family.

Q. What is the full name of Gandhi?

Ans. The full name of Gandhiji is Mohandas Karamchand Gandhi.

Q. Did Gandhi have a wife?

Ans. Gandhi’s wife’s name was Kasturba Gandhi.

निष्कर्ष

हमें उम्मीद है. आप सभी विजिटर को Mahatma Gandhi के बारे में पूरी जानकारी मिल ही गई होगी. यदि आप लोगो को कोई डाउट है. तो आप हमें कमेंट करके बता सकते है. यदि आप लोगो को यह लेख अच्छा लगा है. तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करे.

Note : यह जानकारी विभिन्न वेबसाईट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गहराई से रिसर्च करके एकत्रित की गई है। यदि इस जानकारी में किसी भी प्रकार की त्रुटि पाई जाती है. तो इसके लिए bioknowledge.net की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है.

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