BODHGAYA NEWS: बोधगया में जींस से बनी चपले खूब प्रसिद्ध हो रही है, इन शब्दों का इस्तेमाल महाबोधि मंदिरों में किया जा रहा है…

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नमस्कार दोस्तों मेरी इस पोस्ट से जाने कि कैसे बिहार के गया जिला में रहने वाले इन महिलाओं ने क्या खूबसूरत और बेहतरीन आइडिया का प्रदर्शन पूरी बोधगया में किया है दरअसल इन महिलाओं ने जींस के चप्पल तैयार किए हैं जोकि इनके रोजगारी का बड़ा मार्ग है और बोधगया में इसकी बिक्री खूब हो रही है क्योंकि बोधगया में रहने वाले लोग और देश विदेश के लोग इसे खूब पसंद कर रहे हैं हर एक चप्पल की कीमत लगभग 150 रूपए के आसपास बताई जा रही है और बहुत सारे लोग लेने के लिए उत्सुक हैं तो मेरे इस पोस्ट के माध्यम से जाने कि यह चप्पल यह महिलाएं कैसे बनाती है और इसे क्या-क्या फायदे हैं | और इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें धन्यवाद |

Bodhgaya Jeans Chapal

बिहार के गया जिले में रहने वाली महिलाओं का आईडिया और उनकी सोच आजकल खूब धमाल मचा रही है इनके आईडिया यह कहते हैं कि आप सिर्फ जींस पहनने के लिए ही नहीं बल्कि चलने में भी इनकी मदद करेंगी दरअसल राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत गया के रहने वाली इन महिलाओं स्वयं सहायता समूह से जुड़े हुए हैं और जींस के कपड़े से चप्पल बनाने की में जुटी हुई है |

भारत सरकार ने एचडी आरती और आईआईटीके परीक्षण प्राप्त कर इन सभी महिलाओं ने एक नया अभियान की शुरुआत की है एन यू एल एम ने इन महिलाओं को लगभग ₹10 हजार का सहयोग किया है जिससे कि वे अपना व्यवसाय को आगे ले जा सके इस आईडिया की खास बात यह है कि जींस के कपड़े से तैयार लो कि बोधगया के बाजार में सारी जगहों पर बेचा जाएगा और यह चप्पल की बकरियां बहुत ही हो रही है और बोधगया में आने वाले देश विदेश के यात्री इसे बहुत पसंद कर रहे हैं |

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और इन चपलो का इस्तेमाल ज्यादातर वहां के रहने वाले महाबोधि मंदिर के लोग कर रहे हैं जिससे कि मंदिर में आने जाने वाले संध्या श्रद्धालुओं को प्लास्टिक अथवा चमड़े का चप्पल पहन कर आना सख्त मना है जिसके कारण श्रद्धालु जींस या इस प्रकार के तैयार किए गए चप्पलों का इन चप्पलों की मांग अधिक होने की कारण बोधगया की महिलाओं से अपना व्यवसाय को बना लिया गया है इस परीक्षण से बेरोजगार कर रही हैं आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस जींस वाले चप्पल की कीमत लगभग 150 रूपए है |

150 रूपए में हर एक चप्पल को बेचा जा रहा है

लगभग 10 से 12 महिलाओं इसे स्वयं सहायता समूह में जुड़े हुए हैं और हर एक महिलाएं दिन के लगभग 506 चप्पल बनाती हैं और वही 1 जोड़ी चप्पल की कीमत डे150 रुपए बताई जा रही है और इसे बनाने में करीबन 100 रुपए खर्च हो जाते हैं |

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इस समूह की हर महिलाओं को अलग-अलग काम सौंप दिया जाता है कोई चप्पल के आकार में जुड़ जाती हैं तो कोई कपड़े की कटिंग करती हैं हथवा फॉर्म काटती हैं और कई प्रकार के अन्य मशीनों पर सिलाई भी करती हैं लगभग 50 जोड़ी चप्पल बनाए जाते हैं और उसे मार्केट में बेचा जाता है |

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